मुबारक़ हो इश्क़...!!!

 
मुबारक हो इश्क़ ,ए दिल मेरे तुझकों
तुझें तोडक़र वो गुज़र जा रहें हैं।


मेरे रातों के ख़्वाबों को,पैरों दबाकर
हर सुबह वो हमसें दूर जा रहें है।
मुबारक हो इश्क़, ए दिल मेरे तुझकों
तुझें तोडक़र वो गुज़र जा रहें हैं।

मैं तो कहता था ज़माने से, मेरी इबादत है मोहब्बत
अब नजाने मेरे ख़ुदा क्यूँ ,मुकर जा रहे हैं।
मुबारक हो इश्क़,ए दिल मेरे तुझकों
तुझें तोडक़र वो गुज़र जा रहें हैं।

एक झलक पाने को जिनकी तरसे थे हम
अब नजाने वो मुझसे ही नजरें चुरा रहे है।
मुबारक हो इश्क़,ए दिल मेरे तुझकों
तुझें तोडक़र वो गुज़र जा रहें हैं।

ख़ता ये हुई हमारी, हम बस उनके हुए
अब सितम दुश्मनों वाले मुझपे कर रहे है।
मुबारक हो इश्क़,ए दिल मेरे तुझकों
तुझें तोडक़र वो गुज़र जा रहें हैं।

जाना ही था तो जान लेके ही जाते
न दर्द होता मुझें न तुझपे उंगली उठाते,
अब ये कंबख्त यादें वो मासूम वादे मुझें सता रहें है।
मुबारक हो इश्क़,ए दिल मेरे तुझकों
तुझें तोडक़र वो गुज़र जा रहें हैं,
तुझें तोडक़र वो गुज़र जा रहें हैं,
तुझें तोडक़र वो गुज़र जा रहें हैं।।

-सौरव महाजन
Contact : 8378862867

Comments

Post a Comment