इश्क़ ना भी हो मुकम्मल तो कुछ गम नही,
चुपके मेरा तुझे चाहना गलत है या सही !
हम न जागे न सोए हर ख्वाब में तेरा आना
सुर्ख आँखों का क्या दु रोज नया बहाना
नींदें लूट गयी मेरी कब, कब तुझे खबर तक नहीं
चुपके मेरा तुझे चाहना गलत है या सही !
तेरी मंजिल है बड़ी तेरा बहते ही जाना
खामोश हूँ बन के नदी का किनारा
याद रहूँ तुझें मैं ये, ये ख्वाईश भी नहीं
चुपके मेरा तुझे चाहना गलत है या सही !
मैफ़िल है तेरी है तेरा जमाना
तारों के शहर में है तेरा ठिकाना
किस दर्गे में मैंने दुआ, दुआ तेरी मांगी नही
चुपके मेरा तुझे चाहना गलत है या सही !
नादान हूँ मैं मुझे ना आजमाना
धड़कनोको तेरी ना मैंने पहचाना
नजर से मिलकर ये नजर, नजर फिर उठी नहीं
चुपके मेरा तुझे चाहना गलत है या सही !
-सौरव महाजन
-saurav mahajan
Thanks for your love...
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