एक कहानी ऐसी भी..!!!

दिल से सुनना बता रहा हूँ
इस दुनिया से अनजान एक कहानी थी
मैं मरता था उसकी आँखों पे
वो मेरी मुस्कान की दीवानी थी
में मास्टरजी का बेटा था
वो मुंशी जी की बेटी थी

में आता था साइकिल पर
वो स्कूटी पे जाया करती थी
मुझें आता देख सामने
पलकें झुका यूँ मुस्कुरा जाती थी
मैं जाता था बस देखने उसे
वरना कॉलेज से किसकी बनती थी
मुझे चाँद कहती थी उसका वो
हा वो मेरी भी चाँदनी थी
आती थी हर शाम मिलने
मज़ीद के पीछे छिप छिप कर
मैं घर मंदिर जाने का बहाना करता था
मैं समझाता था वेद उसे
वो कुरान बताया करती थी
गाने लगी थी वो हनुमान चालीसा
मुझे अजान समझ आती थी
ये उस वक़्त की बात है यारों
जब वो मेरी हुआ करती थी
फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ
जो ख्वाबों में ना सोचा था
वो हमारे साथ हुआ
कितनी पाक थी मोहब्बत मेरी
हमें कहाँ मजहब समझ में आता था
जुदा होगयी जान मेरी
अब में हर रोज तड़पता था
रह गईं अधूरी वो दास्तान
जिसमें जीनी मुझे जिंदगी थी
दिल से सुनना बता रहा हूँ
इस दुनियाँ से अनजान एक कहानी थी।
.....सौरव महाजन
.....Saurav mahajan
Contact : 8378862867

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