खुद ही खुद का प्रबोधन हूँ
खुद के आँसू का गायक हूँ
महाभारत का भीष्म पितामह हूँ।
ज्ञानी होकर भी अन्धकार मैं
मौन होकर बैठ गया हूँ
मैं एक घायल पंछी हूँ
अपनी राह खो चुका हूँ
मुझे जरूरत है कुछ ममता की बूंदों की
ना उपदेसों की ना परामर्शों की
मैं तत्पर हूं फिर से छूने को मेरी बुलंदिया
मुझे पसंद ना होगी कभी
पिंजरों से मेहरबानियाँ
मैं वो निल गगन का सूर्य हूँ
कुछ बादलोंसे घेर रखा हूँ
बस राह एक हवा के झोंके की है
जो मुझे फिर से खुला कर जाए
ऐसा उजाला भरू रगों में
कोने कोने से अन्धेरा मिट जाए
मत समझना मुझे अभिमन्यू
जो अनजानी राह चल गया
बाल बुद्धि ना सोचे समझे
चक्रव्यूह तोड़ने निकल गया
मुझे पता थी मंजिल मेरी
बस एक कदम से लौटा हु
हा हुई होगी गलती मुझसे
अंदाजा लगाने मे चूका हूँ
पर फिर भी मेरी आग बुझी नही
अब एक वार ऐसा होगा
जिसकी किसीको उम्मीद नही।
....सौरव महाजन
.....Saurav mahajan
Contact: 8378862867
🔥🔥✨
ReplyDeleteThanks...
ReplyDeleteMe tera fan ho gaya bhai 👍☺️
ReplyDeleteDost ban jao....Dil me jagah dunga....
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