तू प्रीत मेरी...!!!




मैं गीत तेरा ,तू प्रीत मेरी
बिन तेरे हर साँस अधूरी है
मैं शाम हुँ द्वारका वासी
तू मथुरा की धूंद बासुरी है।

ले आ तू दिल के सवेरे
मेरे गीत तेरे बिन अधुरे है।
अमर कर मुझे मीत बना कर
ये रीत अभीतक अधूरी है।।

कश्म कश्म रोमांचित हो उठा
प्रीत की बारिश अभी अधूरी है।
बन जा तू सारथी जीवन की
ये पार्थ पामर सौरव है।।

आवो आज शब्दों से श्रृंगार कर
ओठों गीतों का यह निमंत्रण है।
ऐसी रचना है ईश्वर से प्राक्रित
मन मोहन तुझसे प्रलोभीत है।।

मैं गीत तेरा तू प्रीत मेरी
बिन तेरे हर साँस अधूरी है।
....सौरव महाजन
...... Saurav mahajan
Contact : 8378862867

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