अनजान....!!!

Mere ishq ko wo najane q iss tarah nazarandaz karti hai.....
Muskurakar har war mera nakam karti hai.....
Samajhati hai wo aaj bhi meri dhadkano ko....
Pr na inkan karti hai na ijahar karti hai...

मेरे इश्क़ को वो नजाने क्यूँ
नजरअंदाज करती है।
मुस्कुराकर हर वार मेरा
नाकाम करती है।
समझतीं है वो आज भी मेरी धडकनों को
पर ना इनकार करती है,
ना इजहार करती है।।
 .....सौरव महाजन
...... Saurav mahajan
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